Sunday, October 31, 2010

दो पल ......

वोह दो पल मिलना,और फिर बिछड़ जाना,
उस वक़्त का इंतज़ार करते करते ,
कभी न थकते वोह दोनों .
भले ही दो पल मिलते हो,
पर उस दो पल का सुकून पाने के लिए ,
इतने पालो का इंतज़ार भी कर देते है दोनों.
जब बारह बजते है,
तब वोह दोनों घडी की सुईयां मिलती है ,
और फिर बस कुछ ही पल में बिछड़ जाती है .
प्यार के इस नशे में गूम ,
उन्हें यह एहसास भी नहीं होता ,
की कब इतना वक़्त गुजर गया,
और दिन बीत आया.....
बस उन लम्हों की यादे ही काफी होती है ,
बाकि वक़्त बिताने के लिए......